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फर्रुखाबाद। जनपद के निजी अस्पतालों में बुखार के मरीजों की भरमार है। परिजनों को डेंगू बताकर इलाज में हजारों रुपये वसूले जा रहे

लेकिन जब मौत होती है तो परिजनों को डेंगू संक्रमित की रिपोर्ट नहीं दी जाती है। सीएमओ के आदेश के बावजूद स्वास्थ्य विभाग को डेंगू की जानकारी नहीं दी जा रही है।

जनपद की सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर होने से निजी अस्पताल लगातार बढ़ते जा रहे हैं। किराये की डिग्री पर अस्पताल का पंजीकरण कराकर झोलाछाप भी इलाज करने में जुटे हैं। बुखार के प्रकोप से अस्पतालों में भर्ती मरीजों की भरमार है। मरीजों की जांच में प्लेटलेट्स कम मिलने पर और किट से जांच कर डॉक्टर उन्हें डेंगू बताकर महंगा इलाज कर रहे हैं।

मरीज की अस्पताल से छुट्टी होने तक 30 से 50 हजार रुपये खर्च हो रहे हैं। हालत बिगड़ने पर दूसरे जनपदों में रेफर भी किया जाता। कई मरीजों की इलाज के दौरान मौत भी हो जाती।

इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग में डेंगू से मौत के आंकड़े नहीं बढ़ रहे हैं। गत माह सीएमओ ने निजी अस्पताल संचालकों को डेंगू संभावित मरीजों की रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद किसी अस्पताल संचालक ने एक भी डेंगू मरीज की सूचना स्वास्थ्य विभाग को नहीं दी।

सीएमओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जनपद में अब तक एलाइजा जांच में 144 मरीजों को डेंगू होने की पुष्टि हुई है। जबकि डेंगू से मात्र एक मौत हुई। हकीकत यह है कि आए दिन बुखार पीड़ित मरीजों की मौत हो रही है। परिजनों को डेंगू से मौत होने की जानकारी दी जाती है, लेकिन एलाइजा जांच रिपोर्ट न होने से स्वास्थ्य विभाग डेंगू से मौत होना नहीं मानता।

गत माह नवाबगंज निवासी भाकियू जिलाध्यक्ष अरविंद शाक्य के भाई रमेश चंद्र की कानपुर में इलाज के दौरान मौत हुई थी। डॉ.लाल पैथलैब की जांच रिपोर्ट में डेंगू की पुष्टि हुई। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग में डेंगू से मौत दर्ज नहीं की गई।

सीएमओ डॉ.अवनींद्र कुमार ने बताया कि एलाइजा जांच रिपोर्ट से ही डेंगू की पुष्टि की जा सकती है। डेंगू संभावित मरीजों की रिपोर्ट न भेजने में निजी अस्पतालों पर शिकंजा कसा जाएगा।



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