उरई/कोंच। एआरटीओ अधिकारी की अनदेखी और विद्यालय व चालक की लापरवाही बुधवार को बहुत बड़ा हादसा साबित हो सकती थी। स्कूली बच्चों को ले जाने वाला सफेद रंग का वाहन कभी भी एआरटीओ को नजर नहीं आया। चालक कानों में ईयर फोन (लीड) लगाकर गाड़ी चलाता है, इसकी शिकायत होने के बाद भी स्कूल प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया। नतीजा यह हुआ कि वाहन दुर्घटना का शिकार हुआ और डेढ़ दर्जन संख्या में बच्चों की जान पर बन आई। वाहन में 18 बच्चे मौजूद थे। इनमें 15 को इस प्रकार चोटें आईं कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, एक की हालत ज्यादा गंभीर होने पर उसके माता पिता इलाज के लिए ग्वालियर ले गए।
हादसे के बाद जो बच्चे सीएचसी कोंच में भर्ती हुए। उनमें कुछ घटनाक्रम बताने की स्थिति में थे। उन्होंने बताया कि चालक हर रोज कान में ईयर फोन लगाकर गाने सुनता हुआ वाहन चलाता था। इसकी जानकारी घर में दी थी। अभिभावक भी बता रहे थे कि उन्होंने यह शिकायत स्कूल प्रबंधन से की थी। लेकिन, कोई ध्यान नहीं दिया गया। बुधवार को भी चालक ने लीड कान में लगा ली और बच्चों को लेकर वाहन स्कूल की ओर दौड़ा दी। बच्चों की मानें तो गति ज्यादा थी और गलत साइड में वाहन चलाया गया। इस वजह से बिजली के खंभे से वाहन टकरा गया और हादसा हो गया। इस वाहन में 18 बच्चे सवार थे। इनमें 15 को चोटें ज्यादा आईं। चालक भी गंभीर हैं। यही नहीं स्कूली वाहनों का जो मानक है, वह भी पूरे नहीं थे। पीले रंग के बजाय वाहन का सफेद रंग था। अन्य मानक भी नहीं थे, जो हर दम निगरानी का दावा करने वाले एआरटीओ विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को नजर नहीं आए।
ये हुए घायल
चालक आशीष (25) पुत्र मोहरसिंह निवासी देवगांव, कक्षा यूकेजी का अथर्व (7) पुत्र अनिल, कक्षा 12 का विक्की (17) पुत्र रविन्द्र कुमार, कक्षा 4 की सोमिया (10) पुत्री अनिल कुमार, कक्षा 3 का सोनू (8) पुत्र अजीज, सूर्यांश (7) पुत्र पुष्पेंद्र, कक्षा 4 की मानवी (9) पुत्री पुष्पेंद्र पटेल, माधव पुत्र रजनीकांत, कक्षा 6 का अनिरुद्ध (12) पुत्र शत्रुघन, सौहिल (11) पुत्र अजीज, तानिष (6) पुत्र रजनीकांत, गजराज (6) पुत्र यशपाल, रितेश (13) पुत्र अनिल कुमार, कक्षा 9 का कार्तिक (14) पुत्र हरिओम पटेल, शिवम (14) पुत्र गंगाराम निवासीगण ग्राम फुलेला व कक्षा 8 का अंशुल कुमार (13) पुत्र यशपाल सिंह निवासी हिगुटा।
गाड़ी विद्यालय की नहीं, अभिभावकों ने लगवाई
विद्यालय के प्रबंधक अंकुर यादव का कहना है कि मैजिक गाड़ी विद्यालय की नहीं है। उसमें उनके विद्यालय के बच्चे बैठे थे। बाहर से अभिभावकों ने इस वाहन को लगवाया है। ड्राईवर का लाइसेंस और गाड़ी की फिटनेस दोनों कंपलीट हैं। उन्होंने चालक पर लगे लापरवाही के आरोप पर कहा है कि इस प्रकार की कभी कोई से शिकायत नहीं मिली। ऐसी शिकायतों पर फौरन कार्रवाई होती है।