उरई। चार दिवसीय छठ पूजा के अंतिम दिन सोमवार की सुबह चार बजे से ही रामकुंड पार्क में श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित होने लगी।
अपनी-अपनी जगह पर छठ का प्रसाद सूप में रखकर, (विभिन्न प्रकार के फलों एवं ठकुआ) महिलाएं पानी में खड़ी हो गईं और भगवान सूर्य देव के उगने का इंतजार करने लगीं। छठी मैया का गीत गाती रहीं, जिसके बोल थे उगा हो सुरूज देव भई अरग के बेर, निंदिया के मातल, खोलीं न अखियां हो सुरूज देव। जल बीच दिॅहिया थर-थर कांपे, उगा हो सुरूज देव।
जैसे ही सूर्य देव की लालिमा ने आभा बिखेरी। वैसे ही सब लोग खुशी से झूम उठे और बारी-बारी से सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की। इसके बाद सभी ने एक-दूसरे को प्रसाद वितरित किया और बधाई दी।
छठ पूजा समिति के अध्यक्ष संजय साहनी ने छठ पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस पर्व की यह विशेषता है कि यह आज पूरे देश में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। इस त्योहार को पूरा परिवार एक साथ मनाता है। जो हमें सिखाता है कि आप अपनी माटी, मां और संस्कृति से जुड़े रहें। इसमें उगते हुए सूर्य और अस्त होते सूर्य देव दोनों की पूजा होती है।
जो हमें सिखाता है कि आप अपने बुजुर्ग को उतना ही सम्मान और प्यार करें, जितना अपने बच्चे से करते हैं। इस दौरान सुमन साहनी, खुशहाल साहनी, अमन, संजीव साहनी, धनंजय झा, संजय सेंगर, केएम तिवारी, खुशबू तिवारी, दीनानाथ तिवारी, तारकेश्वर त्रिपाठी, विजय तिवारी, मुकेश, श्रीवास्तव, सुधा झा, प्रीति निरंजन, श्यामजी द्विवेदी, महेश दि्वेदी व दीपेश हिंगवासिया आदि मौजूद रहे। इस दौरान आतिशबाजी हुई और सेल्फी भी ली गई। दोपहर को राजमार्ग पर भंडारे का भी आयोजन किया गया।