चूहे-छेद खनन पद्धति के विशेषज्ञ
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उत्तरकाशी के सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने की कोशिश रंग लाई है। श्रमिकों को बचाने में अब देशी नुस्खे का इस्तेमाल होगा। चूहे छेद खनन पद्धति के विशेषज्ञ झांसी निवासी परसादी लोधी बचाव अभियान में सहायता करने के लिए सिल्क्यारा पहुंच चुके हैं।
परसादी लोधी ने कहा कि वह बचाव पाइपों में प्रवेश करेंगे और सुरंग से बाहर निकलने में रास्ते को जाम करने वाले मलबे को खोदने के लिए हाथ से पकड़े गए उपकरणों का उपयोग करेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि जब मशीनों का उपयोग करके 15 दिन में सुरक्षित रास्ता नहीं बनाया जा सका, तो छेनी-हथौड़ी के सहारे मलबे को कितने दिन हटाया जायेगा।
बता दें कि सुरंग के भीतर बीते 16 दिन से फंसे मजदूरों को बाहरी दुनिया की मुश्किलों की जानकारी नहीं दी गई थी। उनका हर वक्त हौसला बढ़ाया जाता रहा, जिससे वह परेशानी महसूस न करें। वह मोबाइल पर गाने सुनते थे। बीएसएनएल के लैंडलाइन फोन से परिजनों से बातचीत भी कर पा रहे थे।
परिजनों और भीतर फंसे मजदूरों के बीच संवाद कायम रखने के लिए उन्हें कुछ औपचारिकताएं पूरी करके अंदर जाने की आजादी दी गई थी। परिजन सुरंग के भीतर जाकर अंदर फंसे अपने लोगों से बातचीत कर पा रहे थे। सबा अहमद के भाई नैयर अहमद ने बताया कि वह जब भी बात करते थे तो उसे समझाते थे कि सबकुछ ठीक चल रहा है।