कालपी। कस्बे में बंदरों का आतंक है। 27 दिन में बंदर 90 लोगों को बंदर काट चुके हैं। बंदरों का लोगों में इतना खौफ है कि लोग छत पर जाने से डरते हैं। बंदरों को पकड़ने की मांग की जाती है तो नगर पालिका के अफसर कहते हैं कि हमारे पास मंदिरों को पकड़ने के लिए प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दर्ज आंकड़ों के अनुसार एक नवंबर से 27 नवंबर तक कुत्तों और बंदरों के काटे 135 घायल अस्पताल पहुंचे थे। इनमें 90 मामले बंदरों के काटे जाने के थे। पिछले दो दिनों से मोहल्ला आलमपुर में एक बंदर ने दो औरतों के साथ चार लोगों को काटा। इनमें एक बच्ची भी थी। अब भय इतना हो गया है कि लोग अपनी छतों पर भी नहीं जा पा रहे हैं। हर मोहल्ले में चालीस से पचास बंदरों को देखा जा सकता है। छतों में बैठे रहते हैं। सब्जी या कोई भी सामान लेकर जा रहा हो, ये बंदर झपट्टा मारकर छीन लेते हैं।
तीन साल में चार लोगों की हो चुकी है मौत
नगर के अलग-अलग स्थान पर पिछले तीन वर्ष पहले चार लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले वर्ष मोहल्ला आलमपुर गोशाला रोड में खड़ी दो महिलाओं पर छत की दीवार को हिलाकर बंदरों ने नीचे गिरा दिया था। दोनों महिलाओं की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी। मोहल्ला कागजीपुरा में बंदरों के हमले से घबराकर एक महिला छत से कूद गई थी। उसकी मौत हो गई थी। दो महीने पहले स्टेशन रोड पर काम कर रहे राजमिस्त्री पर बंदरों ने हमला कर दिया। काम करने के दौरान वह नीचे गिर गया और उसकी मौत हो गई।
बंदरों को पकड़ने में प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं: ईओ
नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी वेद प्रकाश यादव का कहना है की नगर पालिका के पास बंदरों के पकड़ने के लिए ट्रेनिंग प्राप्त कर्मचारी नहीं है। वन विभाग के अधिकारी पालिका का सहयोग कर सकते हैं। उनके साथ बंदरों को पकड़ने की कार्रवाई की जा सकती है।