बांदा। मौसम बदलने के साथ ही अस्थमा के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। जिला अस्पताल की ओपीडी में 100 में से 25 मरीजों में अस्थमा के लक्षण बढ़ रहे हैं। ऐसे में जरा सी लापरवाही से अस्थमा रोगियों की जान पर बन सकती है। वायरल इंफेक्शन, बार-बार सर्दी, बुखार और खांसी आए तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। यह मर्ज एलर्जी के मरीजों को ज्यादा प्रभावित करता है।
बुधवार को विश्व अस्थमा दिवस है। अस्थमा का प्रकोप मौसम के बदलने पर बढ़ता है। यह बीमारी मरीज के लिए काफी परेशानी बढ़ाती है। मौसम बदलने के साथ ही अस्थमा के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। कुछ दिनों से जिला अस्पताल की ओपीडी में अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ी है। डॉक्टरों के अनुसार तापमान में बदलाव, प्रदूषण, एलर्जी, धू्म्रपान, धूल और धुएं के संपर्क में आने से अस्थमा के मरीजों को खतरा ज्यादा बढ़ता है। इसके अलावा घर में धूल और पालतू जानवरों से एलर्जी के कारण भी अस्थमा रोग का खतरा बढ़ जाता है। वर्तमान समय में जिला अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में 100 लोगों की ओपीडी में 25 मरीजों को अस्थमा की शिकायत पाई जा रही है। इसके अलावा वायरल इंफेक्शन के कारण बार-बार सर्दी, बुखार और खांसी आने से भी इसका खतरा बढ़ रहा है।
अस्थमा होने के प्रमुख कारण-
खान-पान का सही न होना, खराब दिनचर्या होना, अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति नाक से सही प्रकार से सांस नहीं ले पाता और मुंह से सांस लेता है।
अस्थमा के लक्षण-
सांस फूलना, सांस लेने में कठिनाई होना, सीने में दर्द, खांसी, सांस लेने में घरघराहट की आवाज आना, मुंह से सांस लेना, सांस का तेज चलना।
अस्थमा से बचाव
अस्थमा रोग से बचाव के लिए बदलते मौसम में फ्रिज का ठंडा पानी पीने से बचें, धूल और धुआं से खुद को बचाएं। दवाइयों का नियमित रूप से सेवन करें। अस्थमा की शिकायत होने पर डॉक्टर को दिखाएं।
यह एलर्जी का मर्ज है। बदलते मौसम में इस असर बढ़ जाता है। वायरल इंफेक्शन के दौरान बार-बार सर्दी, खांसी, बुखार आने पर अस्थमा की शिकायत हो सकती है। इसका इलाज है। दवाओं से यह ठीक हो जाता है।
डॉ. ह्दयेश पटेल
फिजीशियन, जिला अस्पताल, बांदा