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फोटो संख्या-23- जिला अस्पताल की ब्लड सेपरेशन यूनिट। संवाद

संवाद न्यूज एजेंसी

उरई। जिला पुरुष अस्पताल परिसर में ब्लड सेपरेशन यूनिट सिर्फ डीप फ्रीजर न आने की वजह से शुरू नहीं हो पा रही है। इससे मरीजों को ब्लड सेपरेशन यूनिट शुरू होने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। सेपरेशन यूनिट शुरू न होने से मरीजों को होल ब्लड छोड़कर पैकसेल, प्लाजमा व अन्य रक्त संबंधी अवयव उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि ब्लड सेपरेशन यूनिट में अधिकांश मशीनें इंस्टाल हो चुकी है। सिर्फ डीप फ्रीजर आने की देरी है। इसके बाद कनेक्शन कर यूनिट शुरू कर दी जाएगी। अभी जिले में ब्लड सेपरेशन यूनिट न होने के लिए प्लेटलेट्स के लिए मरीजों को झांसी, कानपुर, ग्वालियर, लखनऊ जैसे शहरों की ओर ले जाना पड़ता है।

जिला अस्पताल में ब्लड बैंक के बगल में ब्लड सेपरेशन यूनिट की बिल्डिंग बनकर तैयार है। यहां पर प्लाज्मा एक्सप्रेशर, ब्लड बैंक रेफ्रिजरेटर, डिजिटल बैंच, थाविंग पाथ, क्रो पाथ, एलईडी डिस्प्ले इन्क्यूबेटर आदि स्थापित हो चुके हैं। ब्लड बैग ट्यूब सीलर भी आ चुका है लेकिन, तकनीकी खराबी वह अभी तक लगाया नहीं जा सका है। यूनिट चलाने के लिए चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण भी पूरा हो चुका है। डीप फ्रीजर न होने के कारण काम शुरू नहीं हो पा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि डीप फ्रीजर के लिए संबंधित कंपनी को पत्र लिखा गया है।

उधर, जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अविनेश कुमार बनौधा का कहना है कि ब्लड सेपरेशन यूनिट बनकर तैयार हो चुकी है। 85 प्रतिशत सामान आकर इंस्टाल भी हो चुका है। सिर्फ डीप फ्रीजर आना अवशेष है। डीप फ्रीजर के लिए डीएम, सदर विधायक और अपने विभागीय अधिकारियों को लिखित और मौखिक रूप से कह चुके हैं। डीप फ्रीजर आने के बाद यूनिट शुरू कर दी जाएगी। इसके बाद जरूरतमंदों को दूसरे शहरों के लिए नहीं भागना पड़ेगा।

रक्त को चार परतों में अलग किया जाता है

ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. अरविंद श्रीवास्तव बताते है कि ब्लड सेपरेशन यूनिट में रक्त को घुमाया जाता है। इसमें रक्त परत दर परत अलग हो जाता है। इसमें चारों ब्लड सेल, प्लाज्मा, व्हाइट ब्लड सेल और प्लेटलेट्स में अलग-अलग हो जाते हैं। जिन्हें सुरक्षित रखा जाता है जो जरूरतमंदों को उपलब्ध कराया जाता है।

इन लोगों को पड़ती है जरूरत

-गर्भवती महिलाएं सबसे ज्यादा एनीमिक होती है, उन्हें रक्त की जरूरत होती है।

-थैलेसिमिया, एचआईवी और अन्य बीमारियों के मरीजों को रक्त की जरूरत होती है।

-सड़क हादसों में घायल को भी रक्त की जरूरत होती है।



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