उरई। शहर के कुछ चौराहें ऐसे हैं, जिन्हें पार करें तो थोड़ा संभलकर। सांकेतिक बोर्ड नहीं हैं। अतिक्रमण के कब्जे से सड़कें सकरीं हैं। प्रकाश की केवल औपचारिक व्यवस्था है।
ये हाल है शहर के कुछ चौराहों का, जिन्हें अब खतरनाक चौराहों के नाम से भी लोग जानने लगे हैं। नियमों का भी ध्यान नहीं दिया गया है। चौराहों के पास से ही कट खोल दिए गए हैं, जिससे वाहनों के मुड़ते ही गलत साइड में आ जाता है और सही साइड से आने वाले वाहन से दुर्घटना होने की आशंका बढ़ जाती है।
सर्दी शुरू हो चुकी है, कोहरे की धुंध भी अब सुबह और देर रात छाने लगी है। ऐसे में चौराहों पर ये कमियां खतरों को और बढ़ा सकती हैं। नगर पालिका को बोर्ड की बैठक का इंतजार है। जिसके बाद ही वह लोगों को खतरे से सतर्क करने वाले सांकेतिक चिंह व बोर्ड लगवाने का काम कर पाएगी।
इस चौराहे के चारों ओर अतिक्रमण है। इस वजह से सड़कें सिमट गईं हैं। चौराहे पर कोई सांकेतिक बोर्ड नहीं है, जो खतरे से राहगीरों को आगाह कर सके। चौराहे के बीच छोटा पार्क बना है। एक साइड से आते वक्त दूसरी ओर से आने वाला वाहन नजर नहीं आता है, जो दुर्घटना का कारण बनता है। लोगों को जागरुक करते हुए चौराहे पर कोई दिशा बताता चिन्ह नहीं है। चुर्खी गांव की ओर से आते वक्त प्रकाश की व्यवस्था ठीक नहीं होने की वजह से भी दुर्घटना होती है। हर दिन छोटे-बड़े हादसे होते हैं।
-इंदिरा स्टेडियम के पास रामेश्वर और स्टेडियम चौराहे के नाम से इस चौराहे को शहरी जानते हैं। इस चौराहे पर सड़कें सकरीं हैं। वाहन सबसे ज्यादा गुजरते हैं। प्रकाश की व्यवस्था भी ठीक नहीं है। सांकेतिक या यातायात संबंधित दिशा नियम बताता कोई बोर्ड नहीं है। कई बार दूसरी दिशा से आने वाला वाहन नजर नहीं आने से दुर्घटना हो जाती है। चौराहे के पास से ही कट खुला है, जो कि कम से कम 10 फीट बाद खुलना चाहिए।
15 अक्तूबर की रात जालोन बाई चौराहे के पास दो बाइकों में जोरदार भिड़ंत हो गई थी। जिसमें एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था। जिसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया।
18 अक्तूबर बुधवार को रामेश्वर चौराहे पर हुआ था हादसा। सड़क पार करते समय तेज रफ्तार ट्रक ने महिला शिक्षामित्र को रौंद दिया था। मौके पर ही उसकी मौत हो गई थी।
अभी कोई चौराहों पर बोर्ड नहीं लगा है। दिशा निर्देश बोर्ड लगवाने का कार्य बोर्ड बैठक में पास करके किया जाएगा। -विमलापति, ईओ, नगर पालिका, उरई