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संवाद न्यूज एजेंसी

झांसी। जिले के रक्सा क्षेत्र के 33 गांवों में इस बार रबी के मौसम में खेत सूने पड़े हैं। क्योंकि जल्द ही यहां किसानों की भूमि का अधिग्रहण होना है लिहाजा किसानों ने पहले से ही खेती करनी बंद कर दी है। यहां के 340 किसानों ने इस बार फसल की बुवाई ही नहीं की। उनका कहना है कि यदि उन्होंने भूमि पर खेती कर ली और जमीन की खरीद-फरोख्त शुरू हो गई, तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा।

नोएडा की तर्ज पर झांसी में बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण का गठन किया जा रहा है। इसके लिए रक्सा क्षेत्र के 33 गांवों की 10 हजार हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि को शासन ने चिह्नित किया है। इस भूमि पर छोटे-बड़े चार हजार से अधिक किसान खेती करते हैं। भूमि चिह्नित होने के बाद किसानों को पता चला कि बीडा से उनके वारे-न्यारे होने वाले हैं तो उन्होंने यहां खेती करने का इरादा ही छोड़ दिया। हालांकि, अभी जमीन के सौदे को लेकर कोई सूचना नहीं है।

रक्सा के इन गांवों में रबी के मौसम में 3.1 हजार हेक्टेयर भूमि पर मटर, 1.6 हजार हेक्टेयर में चना और 5 हजार हेक्टेयर से अधिक में गेहूं की फसल होती है। लेकिन, इस बार यहां के किसानों ने पारंपरिक खेती न करते हुए पालक, टमाटर, गाजर और अदरक की खेती की है। जिसकी वह एक फसल ले भी चुके हैं।

खाद की बिक्री में आई कमी

रक्सा के 33 गांवों में रबी की फसल की बुवाई न होने का असर खाद की बिक्री पर भी पड़ा है। निजी खाद फर्म संचालक और राजापुर गांव में सहकारी खाद भंडारण केंद्र के संचालकों ने बताया कि पिछली साल की तुलना में इस बार डीएपी और इफको की बिक्री इन गांवों में 60 प्रतिशत तक कम रही है।

बीडा प्रोजेक्ट के लिए रक्सा के 33 गांव की 10 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि को चिह्नित कर लिया गया है। किसानों ने भूमि अधिग्रहण को देखते हुए खेती नहीं की है। ऐसे में खाद की बिक्री कम होना स्वभाविक है। – केके सिंह, जिला कृषि अधिकारी



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