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वर्ष 2011 में अंत्योदय राशनकार्ड का कोटा फुल हो जाने से बाकी कर रहे इंतजार

पहला अंत्योदय राशनकार्ड धारक मर जाए या अमीर हो जाए, तभी निरस्त हो सकता है कार्ड

संवाद न्यूज एजेंसी

झांसी। जिले में अंत्योदय योजना में शामिल लगभग 46 हजार गरीब परिवारों के लिए यहां के सात हजार गरीब परिवार हर रोज अमीर होने की दुआ कर रहे हैं। बात चौंकाने वाली है लेकिन, ये बिल्कुल सच है। असल में गरीबों को सस्ती दर पर गेहूं-चावल देने के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 में जिले के लगभग 46 हजार परिवार अंत्योदय योजना में शामिल हुए थे। लेकिन 12 साल बीतने के बाद भी अबतक जिला पूर्ति विभाग के दस्तावेजों में इन गरीबों की संख्या नहीं बढ़ी। जबकि इस अवधि में बढ़े सात हजार गरीब परिवारों को अंत्योदय राशनकार्ड योजना में शामिल होने के लिए नियमों का हवाला देकर रोक (वेटिंग में डाला) दिया गया है। एक दशक बाद भी अंत्योदय योजना में कोटा नहीं बढ़ सका।

आंकड़ों की मानें तो 46 हजार परिवारों पर गरीब होने की मुहर अंतिम जनगणना में एक दशक पहले लगी थी। लेकिन, तब से लेकर अबतक जिलापूर्ति विभाग के दस्तावेज में इन गरीबों की संख्या जो पहले थी, वही आज भी है। बता दें कि साल 2011 में जनगणना के दौरान झांसी जिले के 45,829 ऐसे परिवार चिह्नित किए गए थे, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। इन्हीं, परिवारों को बीपीएल की श्रेणी में लाकर गरीबी रेखा के राशनकार्ड जारी किए गए थे। इनमें कुल 1,50,069 लोग दर्ज हैं। अब पिछले 12 साल से न तो कार्ड बढ़े हैं न ही कम हुए हैं।

ऐसा इसलिए हुआ कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 में इसका कोटा निर्धारित है। ऐसे में यह कोटा बिना जनगणना के बढ़ नहीं सकता। वहीं, नियम है कि जो लोग अंत्योदय कार्ड के लिए पात्रता रखते हैं, उन्हें पहले से योजना में शामिल लोगों के मरने या अमीर होने का इंतजार करना पड़ता है। यही कारण है कि फिलहाल अन्य गरीबों को योजना से वंचित रहना पड़ रहा है। विभाग की वेबसाइट पर ऐसे 7 हजार से अधिक आवेदन हैं, जो वेटिंग में हैं या उनकी रिक्वेस्ट रिजेक्ट हो गई है।

कार्डधारक निरस्तीकरण में भी कर देते हैं खेल

अंत्योदय राशन कार्डधारक जब अपात्र की श्रेणी में आते हैं तो उनका पता विभाग को नहीं चल पाता। इसी मौके का लाभ कार्डधारक उठा लेते हैं। परिवार में जब भी किसी की सरकारी नौकरी लगती है तो महिला मुखिया पहले ही आवेदन कर उस व्यक्ति का नाम राशनकार्ड से कटवा देती हैं।

वर्जन

अंत्योदय योजना में कोटा निर्धारित है, जिसे शासन स्तर पर ही बढ़ाया जा सकता है। जब भी कोई अंत्योदय राशनकार्ड निरस्त होता है तो वेटिंग वाले आवेदक को सत्यापन के बाद सूची में शामिल कर लिया जाता है।

-उमेश चंद, जिलापूर्ति अधिकारी।

केस-1

विमलेश देवी के पति का देहांत हो चुका है। वह घरों में काम कर अपना परिवार चला रही हैं। उन्होंने बताया कि वह पिछले 3 साल से अंत्योदय राशनकार्ड के लिए आवेदन कर रही हैं लेकिन, विभाग का कहना है कि कोटा पूरा हो चुका है। जब कोई कार्ड निरस्त होगा तब उनका नंबर आएगा।

केस-2

वैजंती अहिरवार के पति मोची का काम करते हैं और पूरा परिवार किराए के कमरे में रहता है। वह बताती हैं कि उन्होंने अपने कोटेदार से अंत्योदय राशनकार्ड बनवा देने की बात कही तो कोटेदार का कहना था कि जब कोई कार्ड निरस्त होगा तभी कार्ड बन पाएगा।

केस-3

फौजिया खातून के पति पल्लेदारी करते हैं। वह किराये के कमरे में गुजर बसर कर रही हैं। वह कहती हैं कि यदि अंत्योदय कार्ड बन जाए तो उन्हें आयुष्मान कार्ड भी मिल जाएगा। लेकिन, विभाग ने बताया कि अभी सूची में जगह नहीं है।

केस-4

दिव्या सेन के पति दिव्यांग हैं और वह घर-घर जाकर चौका वर्तन का काम करती हैं। उन्होंने कई बार अंत्योदय कार्ड के लिए आवेदन किया लेकिन, राशनकार्ड नहीं बन सका। वह विभाग भी गईं लेकिन, यहां पता चला कि पहले से ही हजारों लोग आवेदन कर कार्ड बनने का इंतजार कर रहे हैं।



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