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अब तक देशभर के 400 किसानों को दिया जा चुका बीज

संवाद न्यूज एजेंसी

झांसी। किसानों की आय दोगुनी करने और आधुनिक खेती की दिशा में काम कर रहे रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने सरसों के दो नए हाइब्रिड बीज विकसित किए हैं। इन बीजों से सामान्य सरसों के मुकाबले करीब सात क्विंटल अधिक पैदावार हो रही है। विवि अब तक बुंदेलखंड समेत देशभर के 400 किसानों को नए बीज उपलब्ध करा चुका है। पैदावार बढ़ने से किसान समृद्ध भी हो रहे हैं।

विवि के कृषि वैज्ञानिकों ने आरएच 725 और आरएच 749 सरसों बीज की प्रजाति अपने फार्म पर विकसित की है। यह प्रजाति बुंदेलखंड सहित देश के उन इलाकों के लिए विकसित की गई हैं, जहां अधिक गर्मी और जलवायु में असमय परिवर्तन होते रहते हैं। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि सरसों की यह प्रजाति कम पानी में भी किसानों को अतिरिक्त उपज देने में सक्षम है। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है।

केंद्रीय कृषि विवि के कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि सामान्य सरसों की प्रजाति के मुकाबले आरएच 725 व आरएच 749 कई गुना अधिक उपज देती है। जहां सामान्य सरसों का उत्पादन 17 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तो वहीं आरएच 725 व 749 सरसों 25 से 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है। खास बात यह कि इसमें पूरी फसल पकने के लिए दो पानी की जरूरत होती है। किसानों के लिए सरसों का यह बीज हर तरह से लाभ का सौदा है। एक एकड़ भूमि में बुवाई के लिए मात्र एक किलो बीज की ही जरूरत पड़ती है। वहीं, इसमें तेल की उपलब्धता 40 प्रतिशत तक होती है। बुंदेलखंड में सरसों का यह हाइब्रिड बीज काफी पसंद किया जा रहा है। विवि अब तक बुंदेलखंड के विभिन्न जिलों के 400 से अधिक किसानों को आरएच 725 व आरएच 749 के बीज प्रदान कर चुका है। गुरसराय के किसान सरजू ने पिछले साल यह बीज लगाया था। उनको एक हेक्टेयर में 25 क्विंटल की पैदावार हुई। मोंठ के गांव खिल्ली की किसान बेनीबाई बताती हैं कि उनको विवि से बीज मिला था। इससे अधिक उपज हुई और आमदनी बढ़ी।

साढ़े चार महीने में पककर तैयार हो जाती है फसल

कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसके चतुर्वेदी ने बताया कि सरसों की यह प्रजाति 136 से 143 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं। इसकी फलियां लंबी होती हैं व फलियों में दानों की संख्या 17-18 तक होती है। दानों का आकार सामान्य सरसों से मोटा होता है। वे बताते हैं कि अधिक सर्दी और गर्मी में भी सरसों की इस फसल को नुकसान नहीं होता।

इन किसानों ने अपनाया नया बीज

बबीना ब्लॉक के खजराहा बुजुर्ग के किसान राम अवतार ने अपने तीन एकड़ खेत पर आरएच 725 की बुवाई की है। वह बताते हैं कि फसल में फूल खिल रहे हैं। इससे उम्मीद है कि इस बार पैदावार काफी होगी।

गुरसराय ब्लॉक के अतर सिंह ने आरएच 749 किस्म को अपने खेत पर बोया है। अतर सिंह इस बीज से इतने प्रभावित हैं कि उन्होंने इस बार गेहूं बोया ही नहीं है। अपने 7 एकड़ खेत पर सरसों ही लगा डाली है।

सरसों की आरएच 725 व आरएच 749 प्रजाति पर शोध कर उन्हें और अधिक लाभकारी बनाया है। यह दोनों प्रजाति सामान्य सरसों के मुकाबले अधिक उपज देने वाली हैं। किसान इस बीज को पसंद कर रहे हैं। डॉ. एसके चतुर्वेदी, निदेशक शोध, कृषि विश्वविद्यालय।



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