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झांसी। अगर आपके बच्चे को बार-बार खांसी, जुकाम होता है। दवा खिलाने के बावजूद 10 दिनों तक बना रहता है, तो ये लक्षण आपको हल्के में नहीं लेने चाहिए। ये अस्थमा के लक्षण हो सकते हैं। अगर इलाज में देरी की हुई तो बच्चा गंभीर रूप से बीमार पड़ सकता है। उसे अस्थमा का अटैक भी आ सकता है।

महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हर साल अस्थमा के 10 हजार नए मरीज आते हैं। इसमें 10 फीसदी यानी कि एक हजार मरीज बच्चे होते हैं, जिनकी उम्र 14 साल या उससे कम होती है। मेडिकल कॉलेज के चेस्ट एवं टीबी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. मधुर्मय शास्त्री ने बताया कि अस्थमा अनुवांशिक बीमारी होती है। बच्चों में इसके लक्षण दो साल से मिलने शुरू हो जाते हैं। कुछ में ये बीमारी किशोरावस्था के दौरान सामने आती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है तो 30 से 40 में भी इस बीमारी के लक्षण दिखने शुरू होते हैं। हालांकि, ऐसे लोग या तो मोटे होते हैं या फिर धूम्रपान करते हैं।

उन्होंने बताया कि अगर बच्चे को 10 दिन खांसी, जुकाम बना रहता है और दवाएं खिलाने के बावजूद ठीक नहीं होता है तो अस्थमा की जांच जरूर करवानी चाहिए। इलाज न कराने पर बच्चे को आगे चलकर अस्थमा का अटैक पड़ना शुरू हो सकता है। ऐसे कई बच्चों को आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है। समय पर इलाज नहीं किया तो बीमारी लाइलाज हो जाती है। उन्होंने बताया कि ओपीडी में हर महीने 800 से 850 अस्थमा के नए मरीज दिखाने के लिए आते हैं।

दवाओं से ज्यादा कारगर रहता इन्हेलर

डॉ. मधुर्मय और वरिष्ठ चेस्ट फिजीशियन डॉ. डीएस गुप्ता ने बताया कि अस्थमा के इलाज में दवाओं से ज्यादा कारगर इन्हेलर होता है। इन्हेलर को लेकर लोगों में भ्रम रहता है कि इसका उपयोग करने से आदत पड़ जाती है।

बच्चों में अस्थमा के लक्षण

– बच्चे को मुख्यतौर पर रात में खांसी होना

– सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना

– बच्चे की छाती में जकड़न होना

– जल्दी थकना और कमजोरी महसूस होना



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