बांदा। अनुसूचित जाति के दो सगे भाइयों के साथ की गई मारपीट का मुकदमा करीब 15 साल पांच माह बाद निपट गया। दोषी पाए गए दो अभियुक्तों को अदालत ने पांच साल की जेल और नौ हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। अन्य धाराओं में भी जेल और जुर्माना किया गया। जुर्माना न देने पर अतिरिक्त जेल भुगतनी होगी।
बिसंडा थाना क्षेत्र के अहार गांव में 25 दिसंबर 2007 की रात जयकरन और उसके भाई रामप्रसाद को गांव के ही दो सगे भाइयों ने लाठी से पीटकर घायल कर दिया था। पुलिस ने आरोपी चंद्रहास व बिंदा प्रसाद के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली। विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया। अभियोजन की ओर से चार गवाह पेश किए गए।
गुरुवार को विशेष न्यायाधीश (एससीएसटी एक्ट) अनु सक्सेना ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनीं। पत्रावलियों का अवलोकन किया। खुली अदालत में फैसला सुनाया। चंद्रहास और भाई बिंदा प्रसाद को दोषी पाते हुए एससीएसटी समेत मारपीट व अन्य धाराओं में अलग-अलग जेल और जुर्माना किया। सभी सजाएं साथ चलेंगी। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक प्रमोद द्विवेदी और विमल सिंह ने पैरवी की।