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चित्रकूट। चलो यहां के मैदान में पानी भरा है। आज सीआईसी में फुटबाल खेलने चला जाए…। रूद्रा चलो जल्दी, आंटी उसे भेज दीजिए, देर हो रही है। बस यही यश, पारस व प्रभात के अंतिम वाक्य परिजन याद कर रो रहे हैं।

परिजनों ने बताया कि बुधवार को स्कूल से लौटने के बाद पारस और यश एक साइकिल से और प्रभात अलग साइकिल से गांव से निकला था। उन्हें विद्यानगर निवासी मोहित साइकिल लेकर मिला। फुटबाल खेलने के पूर्व सभी ने कहा कि चलो प्रदर्शनी देखी जाए। सब पन्नी से ढंककर रखे गए पटाखों को देखने जा पहुंचे। एक ही स्थान पर चारो खड़े थे, तभी का शिकार हो गए।



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