झांसी। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने रबी की खड़ी फसल पर जिले भर में जमकर कहर बरपाया था। लेकिन, प्रशासन ने सिर्फ एक गांव में ही 33 फीसदी से अधिक नुकसान माना था। जबकि, फसल खराब होने से परेशान कई किसान आत्महत्या कर रहे हैं। झांसी में बीती रात को भी दो किसानों ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
लहरगिर्द निवासी किसान बृजेश कुमार (50) ने अपने पौने दो एकड़ के खेत में गेहूं की बुवाई की थी। लेकिन, मौसम के साथ न देने की वजह से महज चार बोरा गेहूं की ही उपज हुई। इससे परेशान होकर उन्होंने शनिवार की रात आत्महत्या कर ली। वहीं, चिरगांव के ग्राम बिठरी के किसान संतराम राजपूत (46) ने केसीसी के जरिये बैंक से कर्ज ले रखा था। इसके अलावा एक कंपनी से ट्रैक्टर भी फाइनेंस कराया था। फसल खराब होने की वजह से वे ट्रैक्टर की किस्त नहीं चुका पा रहे थे। इससे परेशान होकर उन्होंने शनिवार की रात आत्महत्या कर ली। इससे पहले भी पिछले माह बुंदेलखंड क्षेत्र में पांच किसानों की फसल खराब होने के सदमे से जान चली गई थी। किसानों की मौत का यह सिलसिला कुदरत की बेरुखी के बाद से लगातार जारी है।
मार्च माह में बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि हुई थी। इससे रबी की खड़ी फसल को खासा नुकसान पहुंचा था। नुकसान के आकलन के लिए प्रशासन की ओर से खेतों का प्लॉट टू प्लॉट सर्वे कराया था। इसके बाद माना गया था कि दैवी आपदा से बबीना ब्लॉक के खाड़ी गांव में ही फसलों को 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है। इस गांव के 225 किसानों को 11 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। इससे अलग ललितपुर में 17 गांवों में नुकसान माना गया था। चार हजार से अधिक किसानों को 10.27 करोड़ रुपये की क्षति मानी गई थी। लगभग पांच करोड़ रुपये का मुआवजा दिया भी जा चुका है।
केस-1
किसान खेत पर ही झूल गया था फंदे पर
झांसी। मऊरानीपुर के ग्राम बंका पहाड़ी निवासी अंबिका पाल ने 10 बीघा के खेत में बटाई पर गेहूं की बुवाई की थी। उनके ऊपर कर्ज था। वे अच्छी फसल होने पर कर्ज चुकाने की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन, बारिश व ओलावृष्टि से फसल खराब हो गई। इसका सदमा वे बर्दाश्त नहीं कर पाए। खेत पर ही उन्होंने 23 मार्च को पेड़ पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
केस-2
पैदावार कम होने पर दे दी थी जान
झांसी। ललितपुर के नाराहट के ग्राम सतौरा निवासी अंगद अहिरवार (28) ने अपने खेत पर गेहूं और राई की बुवाई की थी। फसल अच्छी तैयार हो, इसके लिए उन्होंने रात-दिन मेहनत की थी। लेकिन, पैदावार उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई। मुनाफा तो दूर लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा था। इससे वे परेशान रहने लगे थे और इसी परेशानी में उन्होंने मार्च माह में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
9.59 लाख हेक्टेअर में हुई थी बुवाई
झांसी। बुंदेलखंड में रबी की फसल की प्रमुख किस्म गेहूं, राई, चना, मटर व मसूर हैं। इसके अलावा कहीं-कहीं जौ व अलसी भी बोई जाती है। इस रबी सीजन में मंडल के तीनों जनपदों में 9,59,669 हेक्टेअर में रबी की बुवाई हुई थी। इसमें झांसी में 3,76,075 हेक्टेअर, ललितपुर में 2,70,304 हेक्टेअर व जालौन जिले में 3,55,690 हेक्टेअर में बुवाई हुई थी। मार्च माह में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने सबसे ज्यादा तबाही ललितपुर में मचाई थी। इसके अलावा झांसी और जालौन में भी फसलों को नुकसान पहुंचा था। हालांकि, इसके बाद हुए सर्वे में ज्यादातर गांवों में नुकसान महज 15-20 फीसदी ही माना गया।