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झाँसी

इंसानियत का नाम केवल इंसानों की सेवा करना ही नहीं होता, बल्कि इंसानियत का नाम वह होता है, जहां मूक वर्ग की भी सेवा शामिल हो। ईश्वर की अनुपम कृतियों में से एक वानर की सेवा करना झांसी के एक युवक के लिए लक्ष्य बन गया है। वानरों की सेवा करते-करते यह युवक अब मंकी मैन के नाम से जाना जाने लगा है।

 झांसी के ग्वालियर रोड स्थित पाल कॉलोनी में रहने वाला भूपेंद्र कुशवाहा निजी नौकरी करता है, लेकिन वह निजी नौकरी से मिलने वाले वेतन में से एक हिस्सा वह वानरों के भोजन के लिए निकाल कर रखता है। भूपेंद्र झांसी से 15 किलोमीटर दूर बेतवा नदी के किनारे पहुंचकर वहां जंगलों में रहने वाले वानरों को कभी केले, कभी अन्य फल खिलाकर उनका पेट भरता है। भूपेंद्र का कहना है कि पिछले कोरोना काल में जब लॉकडाउन लग गया था, तब वह इस रास्ते से निकला और उसने वानरों को भूख से तड़पते देखा था, तभी से उसने यह ठान लिया था कि इन वानरों की तब तक सेवा करेगा, जब तक कि सामर्थ्य है। दरअसल, जिस स्थान पर यह वानर रहते हैं, वह रास्ता अब पूरी तरह से वीरान हो गया है, क्योंकि हाईवे से नया रास्ता निकाल दिया गया है। हाईवे बन जाने के कारण इस मार्ग से आवागमन बेहद कम हो गया है, जिससे सड़क किनारे जंगलों में रहने वाले जानवरों को पहले की तरह आने-जाने वाले लोगों से खाद्य सामग्री पेट भरने को नहीं मिल पाती, लेकिन भूपेंद्र हर दूसरे या तीसरे दिन अपनी जेब के पैसों से फलों की टोकरी खरीदकर ले जाता है और इन जानवरों का पेट भरता है। उसकी यह वानर सेवा क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। भूपेंद्र का यह भी कहना है कि अन्य लोग भी आगे आयें और उसका सहयोग करें, ताकि वह अधिक से अधिक वानरों की सेवा कर सके।



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