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बांदा। पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के लिए लाभार्थियों के चयन में मनमानी की जा रही है। जिनके के पास लोहिया, इंदिरा और सीएम आवास पहले से हैं। पक्के मकान और ट्रैक्टर हैं। उन्हें भी प्रधानमंत्री आवासों का आवंटन किया जा रहा है। शिकायतों के बाद सीडीओ ने आवासों के सत्यापन के लिए टॉस्क फोर्स का गठन किया है। टॉस्क फोर्स एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट देगी।

पीएम आवास आवंटन हमेशा से विवादित रहा है। ग्राम्य विकास विभाग के पूर्व परियोजना निदेशक हुबलाल ने जांच के दौरान 20017 से लेकर 2022 तक के दो दर्जन से अधिक ऐसे आवास धारक पकड़े थे, जिन्हें विभिन्न आवास योजना का लाभ लेने के बाद भी पीएम आवास का लाभ मिला। यहां तक कि पक्के मकान व ट्रैक्टर और राइफल वालों को भी पीएम आवास दिए गए।

कुछ मामले तो ऐसे पकड़े गए जिनमें आवास किसी के और के नाम आवंटित था और पैसा किसी और को जारी कर दिया गया। इस मामले में कई सचिवों को निलंबित कर उनके वेतन से धनराशि की वसूली की गई। कुछ सचिव इसी मामले में लेकर कोर्ट भी चले गए हैं। उनका कहना है कि पीएम आवास आवंटन से लेकर किस्त जारी करने तक में अन्य अधिकारी भी भागीदार होते हैं। सिर्फ सचिवों से वसूली किया जाना न्यायसंगत नहीं है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिले 24762 लोगों को पीएम आवास आवंटित किए गए हैं। लेकिन आवास आवंटन में प्रधान व सचिवों की मनमानी की लगातार अधिकारियों से शिकायतें हो रही हैं।

जिलाधिकारी के आदेश पर सीडीओ वेद प्रकाश मौर्य ने आवासों के सत्यापन के लिए विकास खंडवार टॉस्क फोर्स का गठन किया है। सीडीओ ने टीम से एक सप्ताह के अंदर आवंटित आवासों की पात्रता व अपात्रता की जांच कर रिपोर्ट मांगी है।

ये हैं टास्क फोर्स

विकास खंड बड़ोखर में जिला प्रशिक्षण अधिकारी, महुआ में जिला उद्यान अधिकारी, नरैनी में जिला सहायक निबंधक सहकारी समिति, बिसंडा में जिलापूर्ति अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, बबेरू में जिला कार्यक्रम अधिकारी, कमासिन में जिला युवा कल्याण अधिकारी, जसपुरा में जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी की अध्यक्षता में टॉस्क फोर्स गठित की गई है।



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