उरई। किशोरी के अपहरण व हत्या के मामले में दोष सिद्ध होने पर एससी/एसटी कोर्ट ने दो दोषियों को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई।
वहीं दोनों दोषियों को अलग-अलग अर्थदंड भी लगाया गया। अर्थदंड न देने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।
शासकीय अधिवक्ता रणकेंद्र सिंह भदौरिया ने बताया कि कालपी कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला रामचबूतरा निवासी राजो उर्फ राजरानी ने एक अगस्त 2018 को पुलिस को तहरीर देकर बताया था कि बेटी नल पर पानी भरने गई थी। बहुत देर तक घर नहीं आई तो पता चला कि जिस बाल्टी को लेकर पानी भरने गई थी। वह बाल्टी मोहल्ले के ही मुजीव के घर में है। पूछने पर बेटी का कोई पता नहीं चला।
शक के आधार पर राजकुमारी, रेहाना बेगम, मुजीब, नगर पालिका के जेई नानकचंद, हरिशंकर उर्फ हरी गुप्ता, अनीस ठेकेदार, इश्तियाक ऊर्फ टेशू, चंद्रप्रकाश उर्फ लाल बदर, दयानंद ऊर्फ भंते, रजिया बेगम के खिलाफ पुलिस ने किशोरी का अपरहण करने की रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी थी।
पुलिस को विवेचना में आरोपियों के खिलाफ किशोरी को अपमानित कर हत्या करने के इरादे से अपरहण मामले की धारा की बढ़ोतरी की गई। जिसकी विवेचना सीओ कानपुर सीबीसीआईडी छोटेलाल गुप्ता को दी गई। उन्होंने सभी दसों आरोपियों को पकड़कर जेल भेज दिया। वहीं, 10 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में 14 जुलाई 2015 को चार्जशीट दाखिल की। 15 साल चले एससी/एसटी कोर्ट में ट्रायल के दौरान राजकुमारी व अनीस ठेकेदार की मौत हो गई थी।
वहीं, आठ आरोपियों का ट्रायल चल रहा था। जिसकी सुनवाई सोमवार को पूरी हुई। जिसमें दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की जिरह गवाहों के बयानों के बाद साक्ष्यों के आधार छह विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी कोर्ट शिवकुमार ने दोषमुक्त कर दिया।
वहीं, मुजीब के किशोरी को अपमानित कर हत्या, अपहरण करने के मामले में दोषी पाते हुए 10 साल की सजा सुनाई और 20 हजार अर्थदंड लगाया है। अर्थदंड न देने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।
वहीं, दयानंद उर्फ भंते को घटना में षड्यंत्र रचने के मामले में दोषी पाते हुए 10 साल का कारावास व 10 हजार रुपये अर्थदंड लगाया। अर्थदंड अदा न करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।