– इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मानी सेवा के समय दर्ज कराई जन्मतिथि मान्य
– नियमावली में स्पष्ट है, सर्विस बुक में हाईस्कूल रिकॉर्ड जन्मतिथि में नहीं हो सकता संशोधन
संवाद न्यूज एजेंसी
झांसी। चिरगांव ब्लॉक के परिषदीय विद्यालय की शिक्षिका कविता कुरील ने सेवानिवृत्ति से पहले जन्मतिथि में संशोधन के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए फैसला दिया कि सेवा में आते समय हाईस्कूल रिकॉर्ड के आधार पर दर्ज कराई जन्मतिथि ही मान्य होगी। इसमें संशोधन नहीं हो सकता है।
झांसी के चिरगांव ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय सुल्तानपुरा की माता की शिक्षिका कविता कुरील 31 मार्च 2023 को सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। शिक्षिका ने सेवानिवृत्ति से पहले बीएसए से अपनी जन्मतिथि बदलने के लिए प्रार्थनापत्र दिया था। शिक्षिका का कहना था कि उनकी जन्मतिथि 3 नवंबर 1967 है, जिसे माध्यमिक शिक्षा परिषद ने गलती से 1960 कर दिया था। अपनी गलती मानते हुए माध्यमिक शिक्षा परिषद ने उनके हाईस्कूल के सर्टिफिकेट में इसको संशोधित कर दिया। शिक्षिका ने बीएसए से सर्विस बुक में भी जन्मतिथि को 1967 करने का प्रार्थना पत्र दिया। बीएसए ने शिक्षिका की मार्कशीट का माध्यमिक शिक्षा परिषद से सत्यापन करने के बाद उसकी जन्मतिथि में संशोधन का आदेश दे दिया। बाद में बीएसए ने उत्तर प्रदेश सेवायोजन की नियमावली के आधार पर अपना आदेश वापस ले लिया।
बता दें कि शिक्षिका वर्ष 2006 में औरेया के विद्यालय में सहायक अध्यापिका के पद नियुक्त हुई थीं। इसके बाद झांसी में प्राथमिक विद्यालय सुल्तानपुरा की माता में स्थानांतरण के बाद आईं थी।
बीएसए के आदेश को चुनौती देते हुए शिक्षिका ने प्रयागराज हाईकोर्ट में सर्विस बुक में जन्मतिथि संशोधन याचिका दाखिल की थी। जिसे हाईकोर्ट के न्यायाधीश मंजीव शुक्ला ने खारिज करते हुए अपना फैसला सुनाया है। उन्होंने फैसला सुनाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सेवायोजन (जन्मतिथि निर्धारण) नियम 1974(2) के में स्पष्ट लिखा है कि सर्विस बुक में हाईस्कूल रिकॉर्ड के आधार पर दर्ज की गई जन्मतिथि में संशोधन नहीं किया जा सकता है। वह भी तब जब कर्मचारी सेवानिवृत्ति के करीब हो। सेवा के समय दर्ज की गई जन्मतिथि ही अंतिम जन्मतिथि मानी जाएगी।