वाराणसी कोर्ट
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वाराणसी जिला जज की अदालत ने 8 महीने पहले कहा था कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी का मामला सुनवाई योग्य है। अब हाईकोर्ट की भी मुहर लग गई है। इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई है। उनका कहना है कि जिला जज की अदालत के फैसले को हाईकोर्ट ने भी मान लिया है। जल्द ही नियमित दर्शन-पूजन पर फैसला आने की उम्मीद है।
जिला जज की अदालत ने 12 सितंबर 2022 को 26 पन्ने के आदेश के मुख्य बिंदुओं को 10 मिनट में सुनाया था। उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर विवाद का हवाला देते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्धारित किया था कि जो संपत्ति किसी में एक बार निहित हो गई, बाद में मूर्ति को तोड़फोड़ देने या अवैध कब्जा लेने मात्र से उसके स्वामित्व में परिवर्तन नहीं आता है।
अदालत ने कहा था कि अगर ट्रस्टी आपत्ति नहीं भी करता है तो उस धर्म के किसी भी प्रवर्तक को अधिकार है कि वह आपत्ति दायर कर सकता है। पांच वादिनी महिलाओं की याचिका पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991, वक्फ अधिनियम 1995 और यूपी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम के तहत बाधित नहीं है। जिला जज की कोर्ट के इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है।
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