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झांसी। शहर की पॉश पंचवटी कॉलोनी में यूपीएससी परीक्षा में दो बार असफल हुए डीआरएम कार्यालय में बजट अनुभाग अधिकारी के इकलौते बेटे ने रविवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस दौरान उसका पालतू कुत्ता लगातार उसे बचाने की कोशिश करता रहा, लेकिन बचा नहीं सका। पुलिस को घर में युवक की डायरी मिली जिसमें उसने अपना सपना अधूरा रह जाने की बात लिखी है। घटना के वक्त उसके पिता पत्नी का इलाज कराने भोपाल गए थे।

नालंदा ओम गार्डन निवासी आनंद अग्निहोत्री का इकलौता बेटा संभव (25) यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। मामा अभिषेक के मुताबिक संभव की मां की कुछ दिनों से तबीयत खराब थी। इलाज कराने के लिए आनंद पत्नी को लेकर भोपाल गए थे। संभव घर में अकेला था। रविवार रात करीब 10 बजे पिता आनंद ने संभव को फोन किया, लेकिन फोन नहीं उठा। पिता ने पड़ोसियों को घर भेजा, लेकिन काफी देर तक घंटी बजाने के बाद भी संभव बाहर नहीं निकला। घर में सिर्फ उनके पालतू कुत्ते एलेक्स के भौंकने की आवाज आ रही थी। पड़ोसियों ने यह जानकारी आनंद को दी।किसी अनहोनी की आशंका से सहमे पिता ने पुलिस को सूचना दी।

थोड़ी देर में उन्नाव गेट चौकी इंचार्ज शिवम सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने मकान के अंदर जाने का प्रयास किया। इस दौरान कुत्ते एलेक्स ने उनको काटकर जख्मी कर दिया। एलेक्स किसी को भीतर नहीं आने दे रहा था। यह देखकर नगर निगम की टीम को बुलाया गया। नगर निगम टीम ने जाल डालकर किसी तरह पालतू कुत्ते को काबू में किया। उसे काबू करने के लिए इंजेक्शन लगाया गया।इसके बाद दरवाजा तोड़कर जब पुलिस कमरे में पहुंची तो वहां संभव फंदे से लटका था। इंजेक्शन के ओवरडोज होने के कारण कुत्ते की भी मौत हो गई। सोमवार की भोर आनंद और उनकी पत्नी झांसी पहुंचे। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया।

कोतवाल संजय गुप्ता का कहना है कि संभव परीक्षा में कामयाबी न मिलने की वजह से हताश रहता था। इसी कारण उसने फांसी लगा ली।

जल्द दबाव में आ जाता था, परिजनों ने समझाया भी था

कमरे की तलाशी के दौरान पुलिस को कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ लेकिन, एक नोट बुक (डायरी) बरामद हुई । संभव ने इसमें अपने बारे में कई बातें लिखी हैं। पिछली बार यूपीएससी का परिणाम आने के बाद उसने लिखा कि लगता है कि मेरा सपना अधूरा रह गया। परिजनों का भी कहना था कि संभव पढ़ाई में होनहार था, लेकिन काफी जल्दी दबाव में आ जाता था। परीक्षा में दो बार असफल होने पर परिजनों ने उसे काफी समझाया था, लेकिन वह हमेशा परेशान ही रहता था।



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